दसविदानिया एक आम आदमी की अधूरी ख्वाहिशों की कहानी है .इंसान अपनी दाल-रोटी की चिंता में अपनी छोटी -छोटी खुशियों से समझौता करता जाता है ,अपने बचपन के दोस्तों को भूलता जाता है .ये बातें वैसे तो बहुत छोटी लगती हैं ,लेकिन जब मौत सामने खड़ी हो तो ये ही बातें ज़िन्दगी की बड़ी खुशियों से भी कीमती हो जाती हैं .दसविदानिया का निर्देशक सबके सामने एक प्रश्न रखता है कि अपनी मौत से पहले वो अपनी कौन सी इच्छा पूरी करना चाहेंगे .रजत कपूर एंड कंपनी ऐसी ही हलके -फुल्के विषयों पर फ़िल्म बनाने में माहिर हैं .अपने इस नए प्रयास के उन्हें साधुवाद .
मुझे तो इस फिल्म ने प्रभावित किया !
This is the only movie which is in my I-pod from day one.. :)
अच्छी जानकारी दी....धन्यवाद।